शनिवार, 25 जनवरी 2020

मथुरा , भरतपुर , मेंहदीपुर बालाजी , आगरा दर्शन भाग - 6

मथुरा , वृन्दावन , मेंहदीपुर बालाजी , आगरा की यात्रा शुरू से पढ़ने के लिए -  यहाँ क्लिक करे


 यात्रा का  दिनांक 14 अगस्त 2019


मथुरा जी से जिस ट्रैन में हम लोगों का आरक्षण था वह करीब तीन घंटे की देरी से आयी, हम लोगों ने अपने अपने बर्थ पर डेरा जमाया और अलार्म लगा कर सो गए, करीब साढ़े तीन बजे ट्रैन बांदीकुई पहुंच गई, शायद कुछ देर पहले वहां बारिश हुई थी जिसके कारन स्टेशन के बाहर थोड़ा पानी लगा था, स्टेशन से बाहर  निकल कर हम लोगों ने एक जगह चाय पी  उसके बाद एक मार्शल में बैठ कर अपने आराध्य बजरंग बली के धाम मेंहदीपुर बालाजी पहुंच गए, मार्शल से उतरने के बाद एक दो होटल देखा गया लेकिन सही नहीं लगा तो थोड़ा और अंदर गए तो एक धर्मशाला मिला, पता करने पर एक बड़ा कमरा खाली था जिसको हम लोगों ने बुक कर लिया और सामान रखकर नित्यकर्म करने के बाद नहा धोकर बाला जी के दर्शन के लिए निकल लिए, इस समय करीब ६ बज रहे थे, मंदिर के बाहर से ही एक जगह प्रसाद लिया गया और लाइन में लग गए, चूकि ये हम सभी लोगों  का बालाजी आने का पहला अवसर था इसलिए बहुत जानकारी नहीं थी, कुछ लोग अपनी मनौती के लिए अरदास एवं सवा मणि भी करा रहे थे, किन्तु हम लोगों पर बजरंगबली की कृपा हमेशा बनी रहती है इसलिए हम लोग   सिर्फ दर्शन करने की ही इच्छा से  लाइन में लग गए ।

एक बात मै  यहाँ बताना चाहुँगा की बाला जी में प्रेत बाधा से ग्रसित एवं शैतानी शक्तियों से परेशान लोग ज्यादा  जाते है और यहाँ इनका पूरा इलाज होता है ऐसे में सामान्य लोगों को थोड़ा अटपटा लगता है, मै तो बजरंगबली का ही भक्त हूँ और मेरे ऊपर उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है, साथ में बच्चे भी थे जो ऐसे लोगों से थोड़ा डर  रहे थे, लेकिन मैंने समझाया की यहाँ डरने की जरुरत नहीं है, यहाँ आने पर सभी लोगों की मनो कामनाये पूर्ण होती है एवं सबका कल्याण होता है। सुबह ६ से ७ तक आरती होती है जिसके कारन मंदिर में प्रवेश बंद कर दिया जाता है , हम लोग करीब साढ़े ६ बजे ही लाइन में लग गए थे लेकिन प्रवेश बंद होने के कारन बाहर  भीड़ काफी बढ  गयी थी , इस बीच करीब दो बार हलकी बारिश भी हुई, कुछ देर बाद प्रवेश शुरू हुआ  लेकिन लोगों की धक्का मुक्की के कारन लाइन में लगा रहना मुश्किल होने लगा, तो मैंने विचार किया और बजरंगबली को याद करके लाइन के बहार हो गया एवं अपने बच्चों  को भी निकाल लिया ऐसा लगा की अब दर्शन नहीं हो पायेगा लाइन के साथ साथ ही चलते रहे और जब प्रवेश द्वार के पास पहुंचे तो वहाँ  एक व्यक्ति ने बांस लगाकर सबको रोक रखा था जबकि प्रवेश द्वार के अंदर काफी दूर तक कोई भीड़ नहीं थी, प्रवेश द्वार के पास फिर हम लोग लाइन के साथ हो लिए और इस तरह हम लोगों को  मंदिर में प्रवेश मिल गया, मंदिर परिसर में चूकि लोहे की रेलिंग लगी हुई थी इसलिए ज्यादा  परेशानी नहीं थी, समय जरूर लग रहा था, खैर करीब नौ बजे तक हम लोग भी बजरंगबली का दर्शन पाने में सफल हुए, उसके बाद प्रेत राज जी का दर्शन किया गया और फिर बाहर निकल आये और बाकी लोगों के आने का इंतजार करने लगे, कुछ देर बाद सभी लोग इकठ्ठा हो गए उसी बीच बारिश भी हुई।
दर्शन करने के बाद काफी अच्छा लग रहा था और भूख भी लगने लगी थी तो हम लोगों ने सड़क पर निकल कर एक खान पान की दुकान पर डेरा जमाया और जमकर पकौड़ी, समोसा एवं खस्ता खाने के बाद चाय पी  और  कमरे पर लौट आये, सभी लोग थके हुए थे तो आराम किया गया, तीन दिनों की यात्रा से मेरी श्री मती जी की तबीयत थोड़ी ख़राब हो गयी थी तो उनको दवा देकर सभी लोगो ने आराम किया।
दो ढाई बजे तक लोग फिर उठने लगे बच्चों की कहीं  जाने की इच्छा नहीं थी, माता जी पिता जी भी थके हुए थे और शुक्ल जी की श्री मती की तबियत भी थोड़ी ख़राब थी, उठने के बाद सभी लोगों ने चाय पिया उसके बाद मै  और शुक्ला जी ऊपर तीन पहाड़ी मंदिर की ओर चल दिए, वैसे जितना आनंद हम लोगों को यहाँ आया उतना अभी तक कही नहीं आया था, मौसम भी काफी खुश गवार था बीच में कभी कभी बारिश भी हो रही थी और बादल उमड़ घुमड़ रहे थे कुल मिलाकर बहुत ही सुन्दर दृश्य दिखाई दे रहा था, साथ में सेल्फी और फोटोग्राफी भी चल रही थी, तीन पहाड़ी मंदिर पर पहुंच कर हम लोगों ने दर्शन किया इतने में फिर बारिश शुरू हो गई तो करीब आधा घंटा हम लोगों को वहाँ रुकना पड़ा, बारिश थोड़ी कम हुई तो हम लोगों ने नीचे उतरना शुरू किया, अब तक अँधेरा भी होने लगा था,  बारिश तेज होने के कारण जगह जगह दुकानदारों के टेंट आदि उखड कर रास्ते पर आ गए थे, करीब सात बजे तक हम लोग नीचे पहुंच गए, कमरे पर गए तो सभी लोग बहुत नाराज हुए कि इतनी बारिश में कहाँ गए थे, खैर सबको बताया गया तो सभी लोग संतुष्ट हुए, कमरे पर ही एक बार फिर चाय पिया गया एवं धर्मशाला  में टहला गया, रात नौ बजे होटल से खाना पैक कराकर कमरे पर लाकर खाया गया, मेरी श्रीमती  जी ने खाना नहीं खाया उन्हें दवा देकर सभी लोग सोने की तैयारी करने लगे, क्योंकि सुबह फिर तीन बजे उठना था, हालांकि हम लोगो की ट्रैन आठ बजे थी लेकिन यहाँ से जल्दी निकलना ही प्राथमिकता थी।
सुबह साढ़े तीन बजे तक सभी लोग उठ गए एवं नित्य कर्म, स्नान आदि  करने  के बाद हम लोग करीब साढ़े पांच बजे सड़क पर आ गए और कुछ देर बाद हम लोगों को बांदीकुई के लिए गाड़ी भी मिल गयी, बजरंगबली को प्रणाम करते हुए फिर आने की इच्छा लिए हुए हम लोग करीब सात बजे बांदीकुई स्टेशन पर पहुंच गए, वहाँ सभी लोगो ने चाय पिया एवं  कुछ नास्ता किया तब तक ट्रेन भी आ गई, सभी लोग उसमे सवार होकर आगरा के सफर पर चल दिए, ट्रैन में हम लोगों का बैठने के लिए आरक्षण था लेकिन इतनी भीड़ थी कि  जिस बोगी में (एस -३ ) हम लोगों का आरक्षण था उसमे घुस ही नहीं पाए , बड़ी मुश्किल से एस -9 में चढ़ पाए भीड़ इतनी ज्यादा थी की मुश्किल से खड़े होने की जगह मिल पायी एक दो स्टेशन के बाद कुछ जगह खाली हुई तो इधर उधर बैठा गया, बांदीकुई से आगरा का सफर लगभग तीन घंटे का है, करीब एक बजे हम लोग आगरा पहुंच गए।
प्लेटफार्म पर उतरने के बाद एक हादसा हो गया,  हम लोग सामान लेकर आटोमेटिक सीढ़ी से ऊपर चढ़ गए, जबकि मेरी माता जी एवं श्री मती जी नीचे सीढ़ी चढ़ने में डर रही थी मै नीचे जाकर उनको लाने की ही सोच रहा था तबतक सीढ़ी पर शोर गुल होने लगा भाग कर गए तो पता चला की माता जी को चोट लग गयी है, खैर ऑटोमेटिक सीढ़ी अपने आप ही रुक गई लेकिन फिर भी उनको थोड़ी बहुत चोट लग गयी थी, वेटिंग रूम में  आने के बाद पिताजी उनके लिए दवा लेने चले गए, कुछ देर बाद लौट कर आये तो चोट वाली क्रीम डेटाल एवं पट्टी आदि लेते आये उसके बाद माताजी की ड्रेसिंग की गयी सब लोगों ने वहाँ थोड़ा आराम किया एवं फ्रेश होने के बाद सामान लाकर में रखकर आगरा घूमने के लिए निकल लिए, स्टेशन के बाहर निकलते ही ऑटो वालों ने घेर लिया, हिसाब किताब समझने के बाद 500 - 500 रूपये में दो ऑटो बुक हुआ जो कि  ताजमहल , लालकिला बाला जी मंदिर एवं मीना बाजार घुमाकर वापस स्टेशन छोड़ देगा।
स्टेशन से निकलने के बाद सबसे पहले एक होटल में खाना खाया  गया उसके बाद ताजमहल देखने के लिए चल दिए, ताजमहल में प्रवेश से पहले टिकट लिया गया एवं उसके बाद अंदर प्रवेश किया गया, इस बीच दो बार बारिश और तेज धूप ने काफी परेशान  किया, करीब डेढ़ घंटे में ताजमहल का भर्मण पूरा हुआ उसके बाद लालकिला देखने के लिए गए, यहाँ भी टिकट लेने के बाद प्रवेश किया गया, वैसे लालकिला   घूमने में काफी आनंद आया बच्चों ने भी काफी एन्जॉय किया, लालकिला घूमने के बाद बालाजी मंदिर गये वहाँ कुछ देर दर्शन करने बाद बाजार में घुमा गया उसके बाद सभी लोग आगरा स्टेशन आ गए, आगरा से लखनऊ की वापसी की ट्रेन रात में दो बजे थी तो सभी लोग वेटिंग रूम में आकर आराम किये, अब हम लोगों की यात्रा समाप्ति की ओर थी और यात्रा की खट्टी मीठी यादें लेकर फिर कहीं और की यात्रा की प्लानिंग करने में व्यस्त हो गए, ट्रेन हम लोगो की नियत समय पर आई और सभी लोग अपने अपने बर्थ पर कब्ज़ा कर के सो गए अब कोई चिंता नहीं थी क्योंकि ट्रैन का लखनऊ पहुंचने का टाइम सुबह नौ बजे का था, अगले दिन लखनऊ स्टेशन पर उतरने के बाद ऑटो बुक करके घर आ गए आज रक्षा बंधन का दिन है तो घर पहुंचने के बाद नहा धोकर रक्षा बंधन मनाया गया


इस तरह हम लोगो के पांच दिवसीय यात्रा की समाप्ति हुई



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