सोमवार, 29 जुलाई 2019

लखनऊ से नैमिषारायण तक की बाइक से यात्रा

यात्रा का दिनाँक 13 अक्टूबर 2017

दोस्तों आज मैं आप लोगों को लखनऊ से नैमिषारायण तक की बाइक यात्रा कराऊंगा जो कि मैंने  अपने एक मित्र बाबूराम वर्मा के साथ की थी, नैमिषारायण का पुराणों में अनेको बार नाम आता है तथा इसे धरती का केंद्र बिंदु भी कहा जाता है, यहाँ चौरासी लाख ऋषि मुनियों ने तपस्या की थी,  अतः यहाँ घूमने की  इच्छा  बहुत दिनों से थी,

इस यात्रा में फोटो मैंने अपने मोबाइल में खींचा था लेकिन दुर्घटना बस मेरा  मोबाइल गायब हो गया इसलिए ये फोटो मैंने नेट से डाउनलोड करके लगाए हैं अगर किसी भाई को  दिक्कत हो तो मै  क्षमा प्रार्थी हूँ

चक्रतीर्थ 

दोस्तों बहुत दिनों से मन में इच्छा थी की कही बाइक से घूमने चला जाय, मेरे दिमाग में नैमिषारायण जाने की इच्छा बहुत दिनों से थी, सो मैंने मन ही मन तय किया की अब तो नैमिषारायण जाना  है वो भी अपनी बाइक से,  अब समस्या ये थी कि श्रीमती जी को कैसे तैयार किया जाय इसके लिए मैंने अपने पडोसी बाबूराम वर्मा को उनकी श्रीमती जी के साथ चलने के लिए तैयार कर लिया तथा उनकी श्रीमती जी ने मेरी श्रीमती जी को भी चलने के लिए उत्साहित किया पहले तो उन्होंने थोड़ा ना नुकर किया लेकिन बाद में वो भी चलने के लिए तैयार हो गयी , साथ में मेरी छोटी बेटी निधि भी चलने का जिद करने लगी तो उसे भी साथ चलने के लिए तैयार कर लिया, वर्मा जी की बेटी अनीता भी साथ चलने के लिए तैयार हो गयी , इस तरह हम लोग दो बाइक पर छ लोग यात्रा के लिए तैयार हो गए हलाकि बाइक पर तीन सवारी चलना गैर क़ानूनी एवं रिस्की होता है लेकिन बच्चों  की जिद के कारन हमें ऐसा करना पड़ा,
अब इन्तजार था ऑफिस की छुट्टी का तो मेरी छुट्टी सेकेंड सैटरडे -संडे  में रहती है, दो दिन बाद ही सेकंड सैटरडे आने वाला था तो मैंने तयारी करनी शुरू कर दी , क्योकि बाइक से इतनी लम्बी वो भी पत्नी के साथ इसलिए तैयारी  तो करनी ही थी, हम लोगों ने तय किया की सुबह 5 बजे घर से निकलना ठीक रहेगा, हम लोग तय समय से थोड़ा विलम्ब से लगभग साढ़े छह बजे अपनी - अपनी बाइक से अपनी पत्नियों को बैठाकर चल दिए, हम लोगो ने पहले ही तय कर लिया था की बाइक की स्पीड 40 से 60 के बीच रखना है इससे तेज नहीं चलना है तथा जो आगे रहेगा वो मुख्या सड़क से मुड़ने से पहले पीछे वाले साथी का इन्तजार करेगा जिससे रास्ता भटकने का चांस काम रहेगा, चूकि हम लोगों की यह बाइक से पहली यात्रा थी इसलिए थोड़ी सावधानी आवश्यक थी, खैर यात्रा प्रारम्भ हो चुकी थी सभी लोग तय गति से यात्रा की ओर बढ़ रहे थे, करीब 50 किलोमीटर चलने के बाद सिधौली से पहले उलटे हाथ हम लोगो को नैमिष के लिए मुड़ने का संकेत बोर्ड लिखा दिखाई दिया, हम लोगो ने सोचा की चलो आगे बढ़ने से पहले कुछ चाय पानी हो जाय, चूकि श्रीमती जी साथ में थी इसलिए ये और ज्यादा जरुरी था,  एक छोटी सी दुकान पर हल्का फुल्का जलपान करने के बाद हम लोगो की यात्रा आगे के लिए फिर आरम्भ हुई बाइक से यात्रा करने का एक फायदा  ये होता है की रास्ते में जहां भी कोई अच्छी जगह दिखे रुक कर  टहल घूम कर फिर आगे यात्रा शुरू कर दीजिये
लखनऊ से सिधौली तक तो फोर लेन की सड़क बहुत अच्छी है लेकिन सिधौली से नैमिष के लिए मुड़ने पर सड़क कुछ दूर तक ख़राब है उसके बाद फिर रोड सही मिल जाती है, लगभग एक घंटे की यात्रा के बाद हम लोग नैमिष पहुंच गये उस समय साढ़े नौ का समय हो रहा होगा, हम लोगो ने अपनी गाड़िया ललिता माता मंदिर के सामने एक गली में लगा दी, हम लोगो का बैग आदि देखकर मंदिर के बहार प्रसाद बेचने वाले समझ  गए कि ये लोग कही बहार से आये है वे सब बुलाने लग गए अपनी अपनी दुकान से प्रसाद लेने के लिए, हम लोगो ने एक दुकान से प्रसाद लिया एवं अपना सामान भी वही रख दिया उसके बाद ललिता माता के दर्शन करने के लिए चल दिर, करीब एक घंटे के बाद दर्शन करके हम लोग मंदिर से बहार निकल कर प्रसाद वाले का हिसाब किताब किया एवं अपना सामान लेकर अपनी बाइक के पास आगये, चूकि नैमिष में बहुत सरे मंदिर एवं दर्शनीय स्थल है उनको देखने के लिए   हमें अपना सामान कही सुरक्षित जगह पर रखना था, स्थानीय लोगो से बात करने पर पास में ही एक मंदिर का पता चला जिसमे कुछ कमरे बने हुए थे, बताया गया की उसमे आपको प्रबंधक से बात करने पर कमरा मिल जायेगा, हम लोगों ने वहां  बात किया तो हमें एक ठीक ठाक कमरा मिल गया किराया पूछने पर पता चला की किराया कुछ नहीं है आप जाते समय यथा शक्ति जो दान दक्षिणा दे देंगे वही किराया होगा , कमरे पर पहुंच कर हम लोगो ने अपना सामान रखा एवं हाथ मुँह धोकर घर से बना हुआ खाना खाया एवं कुछ देर आराम किया, करीब चार बजे हम लोग फिर अन्य जगहों को देखने के लिए अपनी बाइक से निकले, सबसे पहले हम लोग चक्र तीर्थ गए , ऐसी मान्यता है की ब्रह्मा जी के द्वारा छोड़ा गया चक्र यही रुका था इसलिए इसका नाम चक्र तीर्थ पड़  गया, हम  लोगों ने वहां  स्नान किया एवं दर्शन आदि करके आगे बढ़ गए थोड़ी दूर जाने पर हनुमान गढ़ी , पांडव किला , सूत गद्दी , व्यास गद्दी , सीता कुंड, नारदानंद सरस्वती आश्रम आदि स्थानों का दर्शन करते हुए वहां  से १० किलोमीटर दूर मिश्रिख में दधीचि कुंड पहुँच गए , दधीचि कुंड पहुंचते - पहुंचते रात  के 8 बज गए, हम लोगो ने कुंड का एक चक्कर लगाया एवं दर्शन आदि करके थोड़ी देर आराम किया उसके बाद फिर वापस नैमिष के लिए चल दिए, कमरे पर पहुंच कर खाने की व्यवस्था के लिये हम और बाबूराम सड़क के किनारे बने एक छोटे से होटल से हम लोगों ने खाना पैक कराया एवं कमरे पर पहुंच कर हम सभी लोगों ने खाना खाया , खाने के कुछ देर बाद ही पुजारी जी के सहायक भण्डारे में खाना खाने के लिए बुलाने आ गए , हम लोग जिस मंदिर में रुके हुए थे वहां भंडारा भी  चलता था, खैर हम लोगों ने भण्डारे में जाकर प्रसाद खाया एवं सोने के लिए कमरे पर आ गए

हनुमान गढ़ी 

ललिता देवी मंदिर 

                                                                        दधीचि कुंड 

पांडव किला 

व्यास  गद्दी 

                                                                        सूत  गद्दी 

अगले दिन सुबह उठकर फ्रेश होने के बाद चक्रतीर्थ में जाकर स्नान किया एवं माँ ललिता देवी का एक बार और दर्शन किया उसके बाद एक छोटी सी दुकान पर चाय नास्ता करने के बाद स्थानीय दुकानों से कुछ सामान एवं प्रसाद आदि खरीद कर कमरे पर आगये, तत्पश्चात सामान आदि पैक कर के वापस चलने की तयारी करने के बाद पंडित जी से मिलकर दक्षिणा आदि देकर अपनी - अपनी बाइक पर सवार होकर लखनऊ के लिए चल दिए , वापसी में पंडित जी ने बताया की आप लोग हत्या हरण होते हुए जाईये जिससे आप लोगो का एक और तीरथ का दर्शन हो जायेगा, हत्या हरण की ऐसी मान्यता है की यहाँ आकर दर्शन, स्नान , दान करने से व्यक्ति  हत्या के पाप से मुक्त हो जाता है, बताया जाता है की भगवान राम भी रावण की हत्या करने के बाद यहाँ आकर अपने पापो का प्रायश्चित करने के लिए आये  थे जिससे इस स्थान का माहात्म्य और बढ़ जाता है ,
करीब एक घंटे की यात्रा के बाद हम लोगों का काफिला हत्या हरण पहुंच गया एवं वह दर्शन पूजन करने में करीब आधा घंटा लगा उसके बाद हम लोग फिर वापस लखनऊ अपने निवास के लिए चल दिए, रास्ते  में एक जगह हम लोगो ने रूककर जलपान किया एवं उसके बाद फिर अपने घर आकर ही रुके 
                                                                                 यात्रा समाप्त

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7 टिप्‍पणियां:

Harsh ने कहा…

Good traveling

Harsh ने कहा…

Good traveling

उम्र कम और ख्वाब बढ़े बढ़े ने कहा…

Good yatra

Harsh ने कहा…

Good traveling

Harsh ने कहा…

Achha prayas

Unknown ने कहा…

बहुत ही सुंदर वर्णन किया आपने, पढ़ कर अच्छा लगा।
धन्यवाद।

HARI GOVIND MISHRA ने कहा…

THANK YOU

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