रविवार, 31 मई 2020

यात्रा - पड़ाव - यात्रा ( कभी न समाप्त होने वाली ) भाग -1

यात्रा - पड़ाव - यात्रा  ( कभी न समाप्त होने वाली ) भाग -1 

यात्रा की शुरुवात का  दिनाँक  16 / 04 / 2019 

यात्रा एक ऐसा शब्द है जिसका नाम आते ही एक जगह से दूसरी जगह जाने का एहसास होता है, परन्तु यदि गहराई से सोचा जाए तो हर प्राणी अपनी यात्रा पर है, या यूँ कहा जाए की यात्रा एक प्राणी के जीवन का शाश्वत सत्य है जो कभी रुकती  नहीं निरन्तर चलती  रहती  है, प्राणी के जन्म से लेकर बचपन तक की यात्रा, बचपन से लेकर जवानी तक की यात्रा, जवानी से लेकर बुढ़ापे तक की यात्रा और अन्त में जीवन की अन्तिम यात्रा और इस प्रकार एक प्राणी का जीवन चक्र पूरा  हो जाता है।  यात्रा के बीच में  एक बहुत महत्वपूर्ण समय आता है जिसे पड़ाव कहा जाता है, वैसे यात्रा का उद्देश्य ही होता है पड़ाव तक पहुंचना, पड़ाव तक पहुंच कर प्राणी कुछ समय के लिए ठहर सा जाता है , परन्तु पड़ाव भी  यात्रा का ही एक हिस्सा होता है, पड़ाव कभी छोटा तो कभी बड़ा होता है, यात्रा का जितना आनंद चलते रहने में आता है उससे कही ज्यादा आनंद पड़ाव में बिताये गए समय में आता है और फिर पड़ाव जब उबाऊ हो जाता है तो अगली यात्रा पर चलने का समय आ जाता है। 

मित्रों  आज मैं   ऐसी ही एक यात्रा के पड़ाव बारे में लिखने से अपने आपको रोक नहीं पा रहा हूँ जिसका मै स्वयं भी हिस्सा था, तो मित्रों समय व्यर्थ न करते हुए चलिए चलते है  यात्रा के एक छोटे से पड़ाव पर। 

इस यात्रा की शुरुआत पिछले वर्ष अप्रैल के महीने से होती है, जब मैं ऑफिस में बैठा काम कर रहा था, अचानक मेरे मोबाइल की घंटी बजी, फोन उठाने पर दूसरी तरफ से किसी लड़की की आवाज आयी जो किसी बीमा से सम्बंधित काम के लिए बता रही थी, बात चीत करने पर मै उसके द्वारा बताये गए काम को करने के लिए उत्सुक हो गया, कुछ फार्मलिटी बताई और आगे की कार्यवाई के  लिए  अपने प्रतिनिधि को मेरे पास भेजने के लिए  कह कर फोन रख दिया।  

दो - तीन दिनों के बाद एक सज्जन राजेंद्र चौधरी जी मेरे पास आये और सारी  फार्मलिटी पूरी हो गयी, काम के सिलसिले में ही  मेरा और राजेंद्र जी का मिलना  हुआ करता था, वे कभी - कभी मेरे ऑफिस में भी आते थे तो इस तरह से उनसे एक मित्रवत सम्बन्ध हो गया था, एक दिन बातों ही बातों में पता चला की ओ भी मेरे गृह जनपद गोरखपुर के ही रहने वाले है, घर से दूर रहने वाले लोगों में गृह जनपद के लोगों के प्रति लगाव और बढ़ जाता है, तो इस प्रकार  हम लोगों की मित्रता और भी प्रगाढ़ हो गयी। 

एक दिन राजेंद्र जी से मुलाकात हुई तो उन्होंने पूछा सर कहीं मकान किराये पर मिल जायेगा, वे अभी जहाँ रहते थे शायद वहाँ कुछ दिक्कत हो रही थी, संयोग वश उस समय मेरे घर का नीचे का पोर्शन खाली था, मैंने उन्हें बताया की मेरे यहाँ ही एक बार देख लें और यदि पसंद आये तो ठीक है नहीं तो दूसरा कोई मकान देखा जायेगा, अगले रविवार को ही राजेन्द्र जी मकान देखने आ गए, मकान देखने के बाद कुछ देर मेरे यहाँ बैठे रहे चाय पानी हुआ उसके बाद चले गए।  

मेरा घर जिस जगह है ओ अभी अविकसित एरिया है तो सड़क की स्थिति कुछ दूर तक  ठीक नही है, वैसे मुझे उम्मीद थी की मकान उन्हें पसंद नहीं आएगा, लेकिन दो दिन बाद वे मेरे ऑफिस आये और बोले कि मकान मुझे पसंद है और मैं अगले रविवार को उसमे शिफ्ट करूँगा, मैंने कहा ठीक है, अगले रविवार यानि 05 जून 2019 को वे अपना सामानआदि लाकर शिफ्ट हो गए। संयोग कहा जाए या कुछ और दूसरे ही दिन पम्प  हाउस (पानी का सप्लाई जहाँ से आता है ) का मोटर जल गया, जून के महीने में पानी का न होना भयंकर पीड़ा दायक होता है, खैर वैकल्पिक तौर पर काम चलाऊ पानी की व्यवस्था की गयी और दो दिन बाद मोटर भी सही हो गया।


क्रमशः   


  





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