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बुधवार, 30 जुलाई 2025

"धूप की छाँव"

 

                          (एक विवाहित यात्री और उसकी अविवाहित प्रेमिका की त्रासद कहानी)




प्रेम... एक ऐसा शब्द जो इंसान के दिल की गहराइयों से निकलता है, पर जब वह परिस्थितियों की दीवारों से टकराता है, तो सिर्फ खामोशी और दर्द पीछे रह जाता है।

यह कहानी है आरव और सिया की।

एक विवाहित पुरुष और एक अविवाहित युवती की, जिनका प्यार किसी उपन्यास से कम नहीं था, लेकिन उनका अंत... बेहद त्रासद और यादों में जज़्ब हो जाने वाला।
जयपुर के एक मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले आरव की शादी को 17 साल हो चुके थे। पत्नी स्मिता एक घरेलू महिला थीं, और उनका 15 साल का बेटा आदित्य पढ़ाई में अच्छा था। सब कुछ "ठीक" चल रहा था लेकिन सिर्फ बाहर से।
उन दोनों की तन्हाई, उनका शौक और बातें धीरे-धीरे एक ऐसे रिश्ते में बदलने लगीं जो समाज की परिभाषाओं में "गलत" थी, लेकिन उनकी आत्माओं के लिए "सही"।
अगर अगले जन्म में हम मिले... तो मैं तुम्हें खोने नहीं दूँगा।
आरव और सिया की कहानी गलत नहीं थी, बस पूरी नहीं हो सकी

आरव शर्मा, 42 वर्ष के एक अनुभवी ट्रैवल ब्लॉगर थे। उन्होंने भारत के हर कोने की यात्रा की थी पहाड़, समुद्र, मरुस्थल, किलों और जंगलों में।

आरव का दिल धीरे-धीरे अकेला हो गया था। यात्राओं में वह खुद को तलाशता था, लेकिन कहीं न कहीं एक खालीपन उसके जीवन में था, जिसे कोई नहीं भर पाया।

मनाली की बर्फ़ से ढकी वादियों में, आरव एक नई ट्रैवल सीरीज़ की शूटिंग कर रहे थे। उसी समय, एक लड़की कैमरे के सामने मुस्कराते हुए खड़ी थी सिया, उम्र 26 वर्ष, फोटोग्राफर और पर्वतीय पर्यटन की शौकीन।

"आप आरव शर्मा हैं ना? मैंने आपके लेह-लद्दाख वाले वीडियो देखे हैं," – सिया ने मुस्कराते हुए कहा।

वो मुस्कान, उस क्षण आरव को कुछ ऐसा महसूस करवा गई जो सालों से खो गया था।

धीरे-धीरे, उनके बीच बातें बढ़ीं कैमरे, ट्रैवल गियर, मौसम, पहाड़, और फिर... ज़िंदगी की बातों तक।

 

आरव और सिया की मुलाकातें बढ़ने लगीं। वे साथ-साथ ट्रेकिंग करते, कैम्प फायर में कहानियाँ बाँटते और फोटोग्राफ़ी के क्षणों में एक-दूसरे को समझने लगे।

सिया को पता था कि आरव शादीशुदा हैं। लेकिन वो भी अकेली थी। उसका अतीत उसे रिश्तों से दूर कर चुका था।

एक रात, कसोल की एक ढाबे में दोनों बैठे थे। बाहर बारिश हो रही थी, और ढाबे की खिड़की से आती रौशनी में सिया की आँखें चमक रही थीं।

"क्या आपको कभी लगता है कि आप अकेले हैं?" सिया ने पूछा।

आरव ने हल्की मुस्कान दी — “हर वो इंसान जो हर दिन हँसता है, कहीं न कहीं सबसे ज्यादा टूटा होता है।

उस रात, उन्होंने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा। कोई शब्द नहीं बोले, कोई वादा नहीं किया... लेकिन उस स्पर्श में एक पूरी दुनिया थी।

जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ी, उनका रिश्ता और गहरा होता गया। लेकिन हर बार जब आरव घर लौटते, उनका दिल दो हिस्सों में बँट जाता एक जो सिया की तरफ खिंचता था, और एक जो स्मिता और बेटे की ज़िम्मेदारियों से बँधा था।

सिया भी जानती थी कि यह रिश्ता स्थायी नहीं हो सकता।

"मैं नहीं चाहती कि किसी और का घर टूटे," – सिया कहती।

लेकिन दिल... कहाँ समाज की सीमाओं को मानता है?

2022 की सर्दियों में, उन्होंने साथ में स्पीति वैली की यात्रा की योजना बनाई। यह उनकी आख़िरी यात्रा थी हालांकि उन्होंने तब तक यह नहीं जाना था।

हिमालय की ऊँचाइयों पर, सफेद बर्फ़ के बीच, दोनों ने अपने जीवन की सबसे खूबसूरत तस्वीरें लीं। सिया ने एक वीडियो बनाया — “Love in the Lost Mountains” — जिसमें उसने अपने दिल के भाव व्यक्त किए।

उसी रात, आरव ने सिया से कहा — “मैं सब कुछ छोड़ कर तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ।

सिया की आँखों में आँसू थे।

नहीं आरव... जो सिर्फ़ दिल से सही हो, वो ज़िंदगी से सही नहीं हो सकता।

यात्रा के अंतिम दिन, जब वे कीलॉन्ग से मनाली लौट रहे थे, उनका वाहन एक बर्फीले मोड़ पर फिसल गया। गाड़ी खाई में गिर गई।

जब लोगों ने रेस्क्यू किया सिया की मौत हो चुकी थी

आरव गंभीर घायल थे।

आरव ने महीनों अस्पताल में बिताए। वह टूट चुके थे। न केवल हड्डियाँ, बल्कि आत्मा भी।

घर लौटने पर स्मिता ने कुछ नहीं पूछा। वह सब समझ चुकी थीं शायद आरव की आँखों में छिपी सिया की परछाई पढ़ चुकी थीं।

आरव ने ट्रैवल ब्लॉगिंग छोड़ दी।

सिया की याद में उसने एक किताब लिखी धूप की छाँव, जिसमें उन्होंने सब कुछ लिखा सच्चाई, ग़लती, प्रेम, अपराधबोध औरविछोह।

अब आरव पहाड़ों में नहीं जाते, लेकिन हर साल 15 दिसंबर को वो एक चिट्ठी लिखते हैं सिया के नाम।

सिया, तुम धूप की तरह मेरी ज़िंदगी में आईं, और छाँव की तरह छीन ली गईं।

प्रेम हमेशा नैतिकता और समाज की सीमाओं के बीच फँसा रहता है।



"धूप की छाँव"

                            ( एक विवाहित यात्री और उसकी अविवाहित प्रेमिका की त्रासद कहानी) प्रेम... एक ऐसा शब्द जो इंसान के दिल की गहराइयो...