“मेरी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा: IGI दिल्ली से Phuket Thailand तक”
एक सपना जो सालों से पल रहा था
ज़िंदगी में कुछ पल ऐसे होते हैं जो हमारे दिल की गहराइयों में हमेशा के लिए बस जाते हैं। ऐसे पल, जिनकी हम वर्षों तक कल्पना करते हैं, सपने देखते हैं… और जब वह सपना सच होता है, तो दिल की धड़कनें भी जैसे एक नई लय में धड़कने लगती हैं।
मेरे लिए मेरी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा—दिल्ली से फुकेत—ऐसा ही एक सपना था।
यह सिर्फ एक यात्रा नहीं थी, बल्कि एक भावनात्मक सफर था, एक अनुभव था जिसने मुझे दुनिया को एक नई दृष्टि से देखने का मौका दिया।
इस व्लॉग में मैं आपको साथ लेकर चलूँगा—
घर से निकलने की घबराहट, IGI एयरपोर्ट की चमक, इमिग्रेशन का अनुभव, टेकऑफ का रोमांच, बादलों के बीच उड़ते हुए मेरे एहसास, और आखिरकार… थाईलैंड की उस धरती तक, जहाँ पहली बार विदेशी हवा ने मेरा स्वागत किया।
साथ बने रहिए… यह कहानी सिर्फ मेरी नहीं, हर यात्रा प्रेमी की कहानी है जिसे पहली बार आसमान के पार जाने का मौका मिलता है।
सफर की शुरुआत: रात की नमी में दबी उत्सुकता
उस रात मेरी नींद वैसे भी पूरी नहीं हुई थी।
मन में सिर्फ एक ही बात घूम रही थी—
“कल मैं अपने जीवन की पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान भरने वाला हूँ।”
मैंने एक बार फिर अपने बैग चेक किए—पासपोर्ट, टिकट, ID, चार्जर, कैमरा, ट्राइपॉड… सब कुछ जैसे परीक्षा देने जा रहा हूँ।
लेकिन दिल के अंदर कहीं न कहीं हल्की सी घबराहट थी।
पहली विदेश यात्रा… और दिल में लाखों सवाल।
सब कुछ समेटकर जैसे ही मैं घर से बाहर निकला, रात की वह ठंडी हवा चेहरे से टकराई।
एक एहसास आया—
“हाँ, अब यह सफर शुरू हो चुका है।”
रास्ते का उत्साह: दिल्ली की सड़कों पर चलती कार
रात के करीब 3 बजे थे।
सड़कों पर ट्रैफिक कम था, लेकिन मेरे मन में भावनाओं का ट्रैफिक भरा पड़ा था।
कार की खिड़की से बाहर देखते हुए ऐसा लगता था जैसे दिल्ली शहर भी मेरे साथ जाग रहा हो।
हर मोड़ पर मन कह रहा था—
“अब बस IGI पहुँच जाऊँ, फिर असली मज़ा शुरू होगा।”
मैंने YouTube पर कई वीडियो देखे थे—
“पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा कैसे करें”,
“इमिग्रेशन में क्या होता है”,
“फ्लाइट टेकऑफ कैसा लगता है”…
लेकिन आज मैं खुद उसे अनुभूत करने वाला था।
Indira Gandhi International Airport का पहला दृश्य
जैसे ही कार IGI के गेट की ओर मुड़ी, सामने जो चमक दिखाई दी, वह दिल में उतर गई।
बड़ा–सा प्रवेश द्वार, लाइटों की चमक, विदेशी टैक्सियाँ, लगेज ट्रॉलियाँ, और अलग-अलग देशों से आए लोग…
पहली बार यह सब देखते हुए मैं कुछ पल के लिए चुप हो गया।
सोचा—
“यही है वह जगह, जहाँ से सपने उड़ान भरते हैं।”
Terminal 3 का विशाल भवन, उसकी काँच की दीवारें, और अंदर दिखाई देता नीला-पीला प्रकाश…
सच कहूँ तो, पहली झलक ही दिल जीत ले गई।
मैंने अपने कैमरे को ऑन किया और व्लॉग रिकॉर्डिंग शुरू की—
"दोस्तों, आज मेरी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा शुरू हो रही है… और मैं पहुँच चुका हूँ IGI एयरपोर्ट दिल्ली। आज मैं जा रहा हूँ फुकेत, थाईलैंड।"
वह वाक्य बोलते समय खुद पर भरोसा ही नहीं हो रहा था कि यह सब सच में हो रहा है।
Terminal 3 का रोमांच
जैसे ही मैं अंदर गया, सामने विशाल हॉल दिखा—
नीचे चमकती टाइल्स, ऊपर लटकी सुनहरी कला-कृतियाँ, और चारों ओर यात्रियों की चहल-पहल।
हर कोई अपने-अपने गंतव्य की ओर जा रहा था—
कोई दुबई, कोई लंदन, कोई न्यूयॉर्क…
और मैं…
Phuket, Thailand ❤️
चेक-इन काउंटर पर पहुँचते ही मेरा दिल थोड़ा तेज़ धड़कने लगा।
पासपोर्ट पहली बार अंतरराष्ट्रीय काउंटर पर जा रहा था।
“Sir, where are you travelling?”
"Phuket, Thailand," मैंने गर्व से कहा।
उन्होंने मुस्कुराते हुए मेरा पासपोर्ट, टिकट, और बैग चेक किया।
कुछ मिनटों बाद मेरे हाथ में बोर्डिंग पास था।
बोर्डिंग पास हाथ में आने का वह एहसास…
जैसे किसी सैनिक को जीत का प्रतीक मिल गया हो।
मैंने कैमरे की ओर देखते हुए कहा—
“दोस्तों, अब असली सफर शुरू… चलिए चलते हैं इमिग्रेशन की तरफ।”
इमिग्रेशन: सबसे अहम चरण
इमिग्रेशन काउंटर की लंबी लाइन देखते ही थोड़ी घबराहट हुई।
सब लोग शांत खड़े थे, कोई मोबाइल पर बात कर रहा था, कोई कागज़ तैयार कर रहा था।
मैं भी लाइन में लगा।
जब मेरी बारी आई तो अधिकारी ने पूछा—
"Is this your first international trip?"
मैंने मुस्कुराकर कहा, "Yes, sir."
उन्होंने पासपोर्ट देखा, कुछ पल के लिए कंप्यूटर स्क्रीन पर टाइप किया…
और फिर — मुट्ठ की आवाज़ जैसी मुहर की आवाज़ —
THPP
पासपोर्ट पर पहली विदेशी मुहर लग चुकी थी।
मैंने मन में कहा —
“हाँ! यह हो गया… मैं अब सचमुच इंटरनेशनल ट्रैवलर हूँ।”
कैमरे में मैंने हल्की मुस्कान के साथ कहा—
“दोस्तों, पासपोर्ट पर पहली मुहर लग चुकी है… और यह एहसास बताने लायक नहीं।”
सिक्योरिटी चेक और Departure Gate
अगला चरण था सिक्योरिटी चेक।
सब बहुत तेज़ी से हुआ।
जैसे ही मैं आगे बढ़ा, सामने Duty-Free Shops की चमक दिखाई दी।
परफ्यूम, घड़ियाँ, चॉकलेट्स, लग्जरी ब्रांड्स…
यह सब देखकर अहसास हुआ कि यह जगह हर यात्री के लिए एक छोटा–सा संसार है।
Gate number स्क्रीन पर देखकर मैं अपनी फ्लाइट की ओर बढ़ा।
सामने खड़ी थी—मेरी पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान।
वह विमान मानो मुझे बुला रहा था—
“चलो… अब दुनिया बदलने वाली है तुम्हारी।”
विमान में बैठने का जादुई पल
जब बोर्डिंग शुरू हुई, मैं लाइन में खड़ा हुआ।
दरवाजे से अंदर कदम रखते ही एयरहोस्टेस की मुस्कुराहट ने डर को आधा कम कर दिया।
मुझे खिड़की वाली सीट मिली थी—मेरी सबसे बड़ी इच्छा पूरी हो गई।
मैं बैठा और बाहर देखा—
रनवे की रोशनी, टैक्सी करती गाड़ियाँ, और दूर खड़ी बड़ी-बड़ी फ्लाइट्स…
यह सब मुझे सपने जैसा लग रहा था।
सीट बेल्ट बाँधते ही दिल धड़कने लगा।
यह वही पल था जिसके बारे में मैंने वर्षों से सोचा था।
टेकऑफ: जब धरती पीछे छूटने लगी
फ्लाइट धीरे–धीरे रनवे पर आगे बढ़ने लगी।
एक क्षण ऐसा आया जब उसने रफ्तार पकड़ी—
और अचानक…
आकाश में उड़ान भर ली।
दिल में एक चुभन–सी हुई, आँखें हल्की सी नम हुईं।
नीचे दिल्ली पीछे छूट रही थी—इमारतें छोटी हो रही थीं…
और मेरे सपने बड़े।
जब विमान बादलों को चीरकर ऊँचाई पर पहुँचा, मैंने कैमरा खिड़की की ओर घुमाया—
बाहर रूई जैसे बादल थे, सूरज हल्का नारंगी…
जैसे स्वर्ग नीचे बिछा हो।
मैंने खुद से कहा—
“यह मेरे जीवन के सबसे खूबसूरत पलों में से एक है।”
आसमान में 4 घंटे: शांति, सौंदर्य, और अनंत आकाश
फ्लाइट में भोजन मिला, मैंने खाया।
कुछ देर बाद फ्लाइट की लाइट्स धीमी हो गईं।
मैंने खिड़की से बाहर देखा—
नीचे बादलों की चादर…
मन में एक ही विचार आया—
“ज़िंदगी में कम से कम एक बार ऐसा सफर जरूर करना चाहिए।”
थाईलैंड का पहला दृश्य: समंदर
करीब 4 घंटे बाद सामने समुद्र दिखाई दिया।
नीला पानी…
उसके बीच टापू…
और आसमान में सूरज का हल्का सुनहरा रंग…
यह दृश्य देखकर ऐसा लगा मानो किसी ने एक पेंटिंग को जीवन दे दिया हो।
मैंने कैमरे में कहा—
“दोस्तों… स्वागत है थाईलैंड में, यह सब मैं कभी नहीं भूलूँगा।”
Phuket International Airport की धरती पर पहली बार कदम
जैसे ही विमान उतरा, मैं खिड़की से बाहर देखता ही रह गया।
सामने नारियल के पेड़, साफ़ हवा, और विदेशी माहौल।
जब विमान का दरवाजा खुला और मैंने सीढ़ियाँ उतरीं—
वह हवा…
वह महक…
एक पूरी तरह नई दुनिया का स्वागत थी।
पहली Entry stamp लगवाते समय मेरे चेहरे पर मुस्कान थी।
मैंने मन में कहा—
“यह सिर्फ शुरुआत है…”
Thailand की हवा, चेहरे, और माहौल
एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही मन खुश हो गया—
मस्कुराते लोग, अंग्रेजी–थाई भाषा की आवाजें, समुद्री हवा…
हर चीज अलग थी।
हर चीज खूबसूरत।
इस यात्रा ने मुझे क्या सिखाया?
यह यात्रा सिर्फ घूमने की नहीं थी—
यह जीवन का एक पाठ थी।
मैंने सीखा—
● सपनों को पूरा किया जा सकता है
● दुनिया बहुत बड़ी और खूबसूरत है
● यात्रा हमें बदल देती है
● डर सिर्फ शुरुआती बाधा है
● आकाश की कोई सीमा नहीं—हमारी क्यों हो?
समापन: मेरी कहानी, मेरी यात्रा
यह मेरी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा थी—
दिल्ली से Phuket तक।
और आज जब मैं इस व्लॉग को रिकॉर्ड कर रहा हूँ, मन में बस एक ही बात है—
“सफर जितना बाहर का होता है, उतना ही अंदर का भी।”
आप सबका धन्यवाद,
जो मेरे साथ इस कहानी के हर पल में जुड़े रहे।
