यात्रा एक ऐसा शब्द है जिसका नाम आते ही एक जगह से दूसरी जगह जाने का एहसास होता है, परन्तु यदि गहराई से सोचा जाए तो हर प्राणी अपनी यात्रा पर है, या यूँ कहा जाए की यात्रा एक प्राणी के जीवन का शाश्वत सत्य है जो कभी रुकता नहीं निरन्तर चलता रहता है, प्राणी के जन्म से लेकर मृत्यु तक की यात्रा लौकिक जीवन की एक पूर्ण यात्रा मानी जाती है। मेरी इस यात्रा ब्लॉग में मेरे द्वारा की गयी छोटी - छोटी यात्राओं के संग्रह का एक छोटा सा प्रयास है, हरि गोविन्द मिश्र - 7985126489
सोमवार, 29 जुलाई 2019
मंगलवार, 9 जुलाई 2019
मथुरा , भरतपुर , मेंहदीपुर बालाजी , आगरा दर्शन भाग - 1
बहुत दिनों से कहीं घूमने का कार्यक्रम नहीं बन पाया था इसलिए मैं बैचैन सा रहता था , हम प्राइवेट नौकरी वालों के पास न पैसा होता हैं और न ही समय, लेकिन घुमक्कड़ी का शौक ऐसा है कि कुछ न होते हुए भी सब कुछ हो जाता हैं। जून 2019 की 5 तारीख को ऑफिस में बैठा आगामी छुट्टियों के बारे में सोंच रहा था कि याद आया अगस्त में 15 तारीख के आस पास एक दो छुट्टियां लेकर प्लान बनाया जा सकता हैं, कलेण्डर देखने के बाद मन उछलने लगा क्योंकि 10-11 अगस्त को सेकंड सैटरडे संडे की छुट्टी थी एवं 12 को बकरीद की छुट्टी थी 13-14 दो दिन की छुट्टी लेने के बाद 15 अगस्त की छुट्टी थी कुल मिलाकर दो दिन की छुट्टी लेने पर कुल 6 दिन की छुट्टी मिल रही थीं। अब सवाल ये था कि जाया कहाँ जाय,
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