सोमवार, 27 अप्रैल 2020

उज्जैन, ओम्कारेश्वर एवं ममलेश्वरकी यात्रा भाग -2

यात्रा का दूसरा दिन 11/08/2018
महाकाल जी का दर्शन एवं उज्जैन भर्मण


आज यात्रा का दूसरा
दिन था, सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर सभी लोग महाकाल जी का दर्शन करने के लिये चल दिये । मंदिर के बाहर ही प्रसाद की दुकान पर अपना सामान रखा गया एवं वहीं से प्रसाद आदि लेकर दर्शन के लिए लाइन में लग गए, लाइन काफी लंबी थी परंतु दर्शन की अभिलाषा में सारी तकलीफ कम लगती है, हम लोग महाकाल जी का जैकारा लगाते हुए आगे बढ़ते रहे, करीब एक घंटे की यात्रा के बाद हम लोग मंदिर प्रांगण में पहुंचे अब तो दर्शन करने उत्सुकता में भाव विभोर हो मन को महाकाल जी के चरणों में लगा कर चलते हुए कब उनके सामने पहुँच गए पता ही नहीं चला, इस समय भीड़ और बढ़ गई और सभी लोग दर्शन का अधिकतम लाभ लेने के लिए धक्का मुक्की करने लगे ओ तो पुलिस वाले व्यवस्था बनाने में मदद करते हैं नही तो सब एक दूसरे के ऊपर चढ़ के निकल जाए।
हम लोगों ने भी महाकाल जी का दर्शन किया एवं आगे जाकर हाल में बैठ गए और भरपूर दर्शन एवं पूजा अर्चना किया गया, उसके बाद मंदिर परिसर में स्थित अन्य मंदिरों का दर्शन किया गया एवं प्रसाद आदि लिया गया। मंदिर परिसर में बैठकर काफी देर तक मंदिर की भव्यता का आनन्द लिया गया, वहां की वास्तु कला भी काफी उत्तम है। यह एक परम आनन्द का छड़ था एक विशेष प्रकार की शान्ति का अनुभव हो रहा था, काफी देर तक निहारने एवं सभी मंदिरों का दर्शन करने के बाद बाहर निकल कर प्रसाद की दुकान पर रखा हुवा सामान लिया गया, अब तक लगभग 12 बज चुके थे, शरीर में ईंधन की कमी महसूस हो रही थी तो आगे चलकर एक जलपान की दुकान पर रुक कर पकौडी एवं चाय पिया गया, उसके बाद सड़क पर टहलते हुए अपने अड्डे की तरफ निकल दिये। रास्ते में एक जगह महाकाल जी का भंडारा चल रहा था, लोगों की इच्छा हुई तो अन्दर जाकर प्रसाद लिया गया, यहां प्रसाद के रूप में पूरा भोजन ही परोसा जा रहा था जिसमें पुड़ी, सब्जी एवं स्वादिष्ट खीर थी। प्रसाद खाने के बाद अब भोजन की आवश्यकता ही नहीं थी तो सीधे कमरे पर आकर आराम किया गया।

विश्राम के बाद उज्जैन की सैर


कुछ देर विश्राम करने के बाद फिर हम लोग कमरे से बाहर निकले और एक दुकान पर चाय पिया गया उसके बाद सर्वप्रथम विक्रम टीला गये, वहां मुख्य द्वार पर पहुचते ही बचपन मे सुनी विक्रमादित्य की कहानी याद आ गई, आज ओ सपना साकार हो गया जिसके बारे में बचपन मे हम लोगों ने अनेकों किस्से सुने थे, आज उन्हीं विक्रमादित्य के नगर में आकर सब कुछ देखने का सौभाग्य मिला। विक्रम टीला के अन्दर जा कर सचमुच गौरव का अनुभव हुआ, वहाँ लगे सूचना पत्रकों को पढ़कर वचपन में सुनी सारी कहानियां एक बार पुनः स्मरण हो गई, काफी देर तक वहाँ वैठने के बाद फोटो आदि खीचा गया और विक्रम टीला के पीछे स्थिति तालाब की खूबसूरती शाम के समय अतुलनीय थी।
विक्रम टीला घूमने के बाद हम लोग बाहर निकल आये, अब कल के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार हो रही थी, सभी लोगों की सहमति होने के बाद तय हुआ कि हम लोग कल ओंकारेश्वर जी का दर्शन करने के लिए जाएंगे, कई जगह पूछने पर पता चला कि वहाँ जाने के लिए टैक्सी और प्राइवेट बसें चलती हैं जो सुबह जाती है और शाम तक वापस आ जाती हैं। एक दुकान वाले से पूछने पर पता चला कि बड़े गणेश जी के मंदिर के पास वहां जाने के लिए बस में बुकिंग होती हैं। उसके बाद हम लोग बड़े गणेश मंदिर गए और दर्शन करने के बाद बस की बुकिंग का पता किया गया तो पता चला वहीं एक दुकान पर उसकी बुकिंग होती है, हम लोगों ने वहां पहुंच कर कल के लिए ओंकारेश्वर जाने के लिए बस में अपनी सीट बुक करा ली। इस बीच कुछ लोगों ने उज्जैन की सड़कों पर मिलने वाले खाद्य पदार्थों का आनंद उठाया उसके बाद हम लोग माता हर सिद्धी का दर्शन करने गये, वहां भी लगभग दो घंटे  व्यतीत किया गया अब तक रात के नौ बज चुके थे, सभी लोग एक होटल पर पहुंचे और वहाँ अपना मन पसंद भोजन किया गया, उसके बाद कमरे पर आकर बात चीत करते हुए सो गए, तो इस प्रकार यात्रा का दूसरा दिन समाप्त हुआ।

कल ओंकारेश्वर की यात्रा होगी





बुधवार, 22 अप्रैल 2020

उज्जैन, ओम्कारेश्वर एवं ममलेश्वर यात्रा भाग-1

उज्जैन, ओम्कारेश्वर एवं ममलेश्वरकी  यात्रा भाग -1यात्रा का दिनाँक 10 अगस्त 2018

बहुत दिनों से उज्जैन जाने की इच्छा हो रही थी, महाकाल के दर्शन की कामना लिए उज्जैन जाने की ट्रेन में जून के महीने में ही आरक्षण करा लिया था, इसकी चर्चा एक बार मैंने अपने मामा जी से की तो ओ भी तैयार हो गए उन्होंने अपना एवं मौसी जी एवं उनके लड़के का भी आरक्षण उसी ट्रेन में 10 अगस्त 2018 में उज्जैन जाने के

शनिवार, 25 जनवरी 2020

मथुरा , भरतपुर , मेंहदीपुर बालाजी , आगरा दर्शन भाग - 6

मथुरा , वृन्दावन , मेंहदीपुर बालाजी , आगरा की यात्रा शुरू से पढ़ने के लिए -  यहाँ क्लिक करे


 यात्रा का  दिनांक 14 अगस्त 2019


मथुरा जी से जिस ट्रैन में हम लोगों का आरक्षण था वह करीब तीन घंटे की देरी से आयी, हम लोगों ने अपने अपने बर्थ पर डेरा जमाया और अलार्म लगा कर सो गए, करीब साढ़े तीन बजे ट्रैन बांदीकुई पहुंच गई, शायद कुछ देर पहले वहां बारिश हुई थी जिसके कारन स्टेशन के बाहर थोड़ा पानी लगा था, स्टेशन से बाहर  निकल कर हम लोगों ने एक जगह चाय पी  उसके बाद एक मार्शल में बैठ कर अपने आराध्य बजरंग बली के धाम मेंहदीपुर बालाजी पहुंच गए, मार्शल से उतरने के बाद एक दो होटल देखा गया लेकिन सही नहीं लगा तो थोड़ा और अंदर गए तो एक धर्मशाला मिला, पता करने पर एक बड़ा कमरा खाली था जिसको हम लोगों ने बुक कर लिया और सामान रखकर नित्यकर्म करने के बाद नहा धोकर बाला जी के दर्शन के लिए निकल लिए, इस समय करीब ६ बज रहे थे, मंदिर के बाहर से ही एक जगह प्रसाद लिया गया और लाइन में लग गए, चूकि ये हम सभी लोगों  का बालाजी आने का पहला अवसर था इसलिए बहुत जानकारी नहीं थी, कुछ लोग अपनी मनौती के लिए अरदास एवं सवा मणि भी करा रहे थे, किन्तु हम लोगों पर बजरंगबली की कृपा हमेशा बनी रहती है इसलिए हम लोग   सिर्फ दर्शन करने की ही इच्छा से  लाइन में लग गए ।

शुक्रवार, 24 जनवरी 2020

मथुरा , भरतपुर , मेंहदीपुर बालाजी , आगरा दर्शन भाग - 5

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कल का दिन हम लोगों केलिए काफी थकान भरा रहा लेकिन सब कुछ अच्छा रहा, अब आज हम लोग वृन्दावन में वैष्णो देवी मंदिर, इस्कान मंदिर, बांके विहारी मंदिर, काँच का मंदिर आदि का दर्शन करते हुए गोकुल से आगे चौरासी खम्भा एवं पुराने गोकुल जायेंगे। 
सुबह उठने के बाद सभी लोग नहा धोकर फ्रेश हो गए एवं कमरे पर ही चाय पी  गयी   उसके बाद नीचे  सड़क पर आकर टैक्सी का इंतजाम किया गया, एक टैक्सी वाला 1200  रूपये में ये सारे स्थान घुमाने के लिए तैयार हो गया, सभी लोग गाड़ी में बैठ गए और सबसे पहला पड़ाव था वैष्णों माता मंदिर। 

सोमवार, 2 दिसंबर 2019

मथुरा , भरतपुर , मेंहदीपुर बालाजी , आगरा दर्शन भाग - 4

मथुरा, मेहंदीपुर बालाजी, आगरा यात्रा शुरू से पढ़ने के लिए - यहॉं क्लिक करें 


आज मथुरा में हम लोगों का दूसरा दिन था और आज गोकुल, नंदगाव, वरसाने आदि घूमने  का कार्यक्रम था तो हम लोग सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर फ्रेश होने के बाद नीचे सड़क पर आ गए, जैसा की सभी जानते है वहाँ टैक्सी वालों ने हम लोगों को घेर  लिया सभी अपना अपना किराया एवं घूमने का रूट बताने लगे, पहले तो इन तीनों जगहों के लिए 2200 रु मांग रहे थे लेकिन थोड़ी बार्गेनिंग करने पर एक इको  स्पोर्ट गाड़ी वाला 1600 रू में घुमाने  के लिए तैयार हो गया, हम लोगों ने भी देर न करते हुए अपना अपना स्थान ग्रहण कर लिया और अब पहला पड़ाव गोवर्द्धन जी का दर्शन था।

शनिवार, 23 नवंबर 2019

मथुरा , भरतपुर , मेंहदीपुर बालाजी , आगरा दर्शन भाग - 3

मथुरा, मेहंदीपुर बालाजी, आगरा यात्रा शुरू से पढ़ने के लिए - यहॉं क्लिक करें 



गोकुल नगरी पूरी घूमने एवं नास्ता पानी करने के बाद हम लोगो की गाड़ी जन्मभूमि की तरफ चल दी, फिर उसी यमुना जी के पुल से वापस आना हुआ  जहाँ मैं  द्वापर में चला गया था, एक बार फिर जाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ  और देखते - देखते पुल  पार हो गया,  करीब आधे घंटे की यात्रा के बाद हम लोग श्री कृष्ण जन्म भूमि पर पहुंच चुके थे , गाड़ी से उतरने के बाद सबसे पहले उस पवित्र भूमि की मिटटी को माथे से लगाया जहाँ हमारे आराध्य का जन्म हुवा था, जन्मभूमि में मोबाइल, पर्स इत्यादि ले जाना वर्जित है तो उसके लिए बाहर  बने क्लॉक रूम में सब जमाकर रशीद लेकर

मंगलवार, 19 नवंबर 2019

मथुरा, मेहंदीपुर बालाजी, आगरा यात्रा - भाग - 2

मथुरा, मेहंदीपुर बालाजी, आगरा यात्रा शुरू से पढ़ने के लिए - यहॉं क्लिक करें 


मथुरा जाने के लिए पटना कोटा एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से लगभग 2 घण्टे देरी से चल रही थी, लखनऊ तक आते-आते ढाई घंटा देर हो गई , खैर ट्रैन आयी सभी लोग अपने आरक्षित बर्थ पर जगह ले कर लेटने की कोशिश करने लगे , चूँकि रात का समय था इसलिए लेटने के आलावा और कुछ हो भी नहीं सकता था, लेटे - लेटे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला, उजाला होने से पहले एक बार नींद खुली लेकिन जगह कौन सी थी ये पता नहीं चल पाया, ट्रैन पहुंचने के निर्धारित समय में करीब दो घंटे का समय था इसलिए एक बार फिर नींद की आगोश में चले गए, एक स्टेशन पर शोर

विंध्याचल की यात्रा

इस यात्रा को शुरु से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें  विंध्याचल की यात्रा आज यात्रा का तीसरा दिन था, दो दिन प्रयागराज में स्नान एवं भर्मण के बा...