यात्रा एक ऐसा शब्द है जिसका नाम आते ही एक जगह से दूसरी जगह जाने का एहसास होता है, परन्तु यदि गहराई से सोचा जाए तो हर प्राणी अपनी यात्रा पर है, या यूँ कहा जाए की यात्रा एक प्राणी के जीवन का शाश्वत सत्य है जो कभी रुकता नहीं निरन्तर चलता रहता है, प्राणी के जन्म से लेकर मृत्यु तक की यात्रा लौकिक जीवन की एक पूर्ण यात्रा मानी जाती है। मेरी इस यात्रा ब्लॉग में मेरे द्वारा की गयी छोटी - छोटी यात्राओं के संग्रह का एक छोटा सा प्रयास है, हरि गोविन्द मिश्र - 7985126489
सोमवार, 2 दिसंबर 2019
शनिवार, 23 नवंबर 2019
मथुरा , भरतपुर , मेंहदीपुर बालाजी , आगरा दर्शन भाग - 3
मथुरा, मेहंदीपुर बालाजी, आगरा यात्रा शुरू से पढ़ने के लिए - यहॉं क्लिक करें
गोकुल नगरी पूरी घूमने एवं नास्ता पानी करने के बाद हम लोगो की गाड़ी जन्मभूमि की तरफ चल दी, फिर उसी यमुना जी के पुल से वापस आना हुआ जहाँ मैं द्वापर में चला गया था, एक बार फिर जाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ और देखते - देखते पुल पार हो गया, करीब आधे घंटे की यात्रा के बाद हम लोग श्री कृष्ण जन्म भूमि पर पहुंच चुके थे , गाड़ी से उतरने के बाद सबसे पहले उस पवित्र भूमि की मिटटी को माथे से लगाया जहाँ हमारे आराध्य का जन्म हुवा था, जन्मभूमि में मोबाइल, पर्स इत्यादि ले जाना वर्जित है तो उसके लिए बाहर बने क्लॉक रूम में सब जमाकर रशीद लेकर
मंगलवार, 19 नवंबर 2019
मथुरा, मेहंदीपुर बालाजी, आगरा यात्रा - भाग - 2
मथुरा, मेहंदीपुर बालाजी, आगरा यात्रा शुरू से पढ़ने के लिए - यहॉं क्लिक करें
मथुरा जाने के लिए पटना कोटा एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से लगभग 2 घण्टे देरी से चल रही थी, लखनऊ तक आते-आते ढाई घंटा देर हो गई , खैर ट्रैन आयी सभी लोग अपने आरक्षित बर्थ पर जगह ले कर लेटने की कोशिश करने लगे , चूँकि रात का समय था इसलिए लेटने के आलावा और कुछ हो भी नहीं सकता था, लेटे - लेटे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला, उजाला होने से पहले एक बार नींद खुली लेकिन जगह कौन सी थी ये पता नहीं चल पाया, ट्रैन पहुंचने के निर्धारित समय में करीब दो घंटे का समय था इसलिए एक बार फिर नींद की आगोश में चले गए, एक स्टेशन पर शोर
रविवार, 6 अक्तूबर 2019
मेरी पहली यात्रा
यात्रा का दिनांक - वर्ष 1985, महीना मार्च, दिन तारीख क्या था याद नहीं
मित्रों मैं आज आप लोगों को अपनी पहली यात्रा के बारे मे बताना चाहता हूं यू तो घूमने का शौक मुझे बचपन से है लेकिन अभी तक घूमने का मौका नहीं मिला था बात उन दिनों की है जब मैं अपने गांव में रहता था उस समय मैं कच्छा - 8 में पढता था, मेरे गांव में मेरा एक मित्र था जिसका नाम अनिल उर्फ C. I. D. उसका उप नाम CID कैसे पड़ा उसकी भी एक छोटी सी कहानी है, हुवा यू की उस समय एक तरफ से दूसरे की जानकारी लाना जरुरी होता था तथा यह काम अनिल भाई बहुत बखूबी करते थे इस तरह कब उनका प्रचलित नाम CID हो गया किसी को पता नहीं, पीठ पीछे लोग CID नाम से ही बुलाते थे और मई तो उसके मुँह पर भी CID ही कहता था जिसे ओ बुरा नहीं मानता था,
मेरे गांव से करीब 40 किलोमीटर दूर ककरहवा में महाशिवरात्रि का मेला लगता था
सोमवार, 29 जुलाई 2019
लखनऊ से नैमिषारायण तक की बाइक से यात्रा
यात्रा का दिनाँक 13 अक्टूबर 2017
दोस्तों आज मैं आप लोगों को लखनऊ से नैमिषारायण तक की बाइक यात्रा कराऊंगा जो कि मैंने अपने एक मित्र बाबूराम वर्मा के साथ की थी, नैमिषारायण का पुराणों में अनेको बार नाम आता है तथा इसे धरती का केंद्र बिंदु भी कहा जाता है, यहाँ चौरासी लाख ऋषि मुनियों ने तपस्या की थी, अतः यहाँ घूमने की इच्छा बहुत दिनों से थी,
मंगलवार, 9 जुलाई 2019
मथुरा , भरतपुर , मेंहदीपुर बालाजी , आगरा दर्शन भाग - 1
बहुत दिनों से कहीं घूमने का कार्यक्रम नहीं बन पाया था इसलिए मैं बैचैन सा रहता था , हम प्राइवेट नौकरी वालों के पास न पैसा होता हैं और न ही समय, लेकिन घुमक्कड़ी का शौक ऐसा है कि कुछ न होते हुए भी सब कुछ हो जाता हैं। जून 2019 की 5 तारीख को ऑफिस में बैठा आगामी छुट्टियों के बारे में सोंच रहा था कि याद आया अगस्त में 15 तारीख के आस पास एक दो छुट्टियां लेकर प्लान बनाया जा सकता हैं, कलेण्डर देखने के बाद मन उछलने लगा क्योंकि 10-11 अगस्त को सेकंड सैटरडे संडे की छुट्टी थी एवं 12 को बकरीद की छुट्टी थी 13-14 दो दिन की छुट्टी लेने के बाद 15 अगस्त की छुट्टी थी कुल मिलाकर दो दिन की छुट्टी लेने पर कुल 6 दिन की छुट्टी मिल रही थीं। अब सवाल ये था कि जाया कहाँ जाय,
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