बुधवार, 22 अप्रैल 2020

उज्जैन, ओम्कारेश्वर एवं ममलेश्वर यात्रा भाग-1

उज्जैन, ओम्कारेश्वर एवं ममलेश्वरकी  यात्रा भाग -1यात्रा का दिनाँक 10 अगस्त 2018

बहुत दिनों से उज्जैन जाने की इच्छा हो रही थी, महाकाल के दर्शन की कामना लिए उज्जैन जाने की ट्रेन में जून के महीने में ही आरक्षण करा लिया था, इसकी चर्चा एक बार मैंने अपने मामा जी से की तो ओ भी तैयार हो गए उन्होंने अपना एवं मौसी जी एवं उनके लड़के का भी आरक्षण उसी ट्रेन में 10 अगस्त 2018 में उज्जैन जाने के

शनिवार, 25 जनवरी 2020

मथुरा , भरतपुर , मेंहदीपुर बालाजी , आगरा दर्शन भाग - 6

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 यात्रा का  दिनांक 14 अगस्त 2019


मथुरा जी से जिस ट्रैन में हम लोगों का आरक्षण था वह करीब तीन घंटे की देरी से आयी, हम लोगों ने अपने अपने बर्थ पर डेरा जमाया और अलार्म लगा कर सो गए, करीब साढ़े तीन बजे ट्रैन बांदीकुई पहुंच गई, शायद कुछ देर पहले वहां बारिश हुई थी जिसके कारन स्टेशन के बाहर थोड़ा पानी लगा था, स्टेशन से बाहर  निकल कर हम लोगों ने एक जगह चाय पी  उसके बाद एक मार्शल में बैठ कर अपने आराध्य बजरंग बली के धाम मेंहदीपुर बालाजी पहुंच गए, मार्शल से उतरने के बाद एक दो होटल देखा गया लेकिन सही नहीं लगा तो थोड़ा और अंदर गए तो एक धर्मशाला मिला, पता करने पर एक बड़ा कमरा खाली था जिसको हम लोगों ने बुक कर लिया और सामान रखकर नित्यकर्म करने के बाद नहा धोकर बाला जी के दर्शन के लिए निकल लिए, इस समय करीब ६ बज रहे थे, मंदिर के बाहर से ही एक जगह प्रसाद लिया गया और लाइन में लग गए, चूकि ये हम सभी लोगों  का बालाजी आने का पहला अवसर था इसलिए बहुत जानकारी नहीं थी, कुछ लोग अपनी मनौती के लिए अरदास एवं सवा मणि भी करा रहे थे, किन्तु हम लोगों पर बजरंगबली की कृपा हमेशा बनी रहती है इसलिए हम लोग   सिर्फ दर्शन करने की ही इच्छा से  लाइन में लग गए ।

शुक्रवार, 24 जनवरी 2020

मथुरा , भरतपुर , मेंहदीपुर बालाजी , आगरा दर्शन भाग - 5

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कल का दिन हम लोगों केलिए काफी थकान भरा रहा लेकिन सब कुछ अच्छा रहा, अब आज हम लोग वृन्दावन में वैष्णो देवी मंदिर, इस्कान मंदिर, बांके विहारी मंदिर, काँच का मंदिर आदि का दर्शन करते हुए गोकुल से आगे चौरासी खम्भा एवं पुराने गोकुल जायेंगे। 
सुबह उठने के बाद सभी लोग नहा धोकर फ्रेश हो गए एवं कमरे पर ही चाय पी  गयी   उसके बाद नीचे  सड़क पर आकर टैक्सी का इंतजाम किया गया, एक टैक्सी वाला 1200  रूपये में ये सारे स्थान घुमाने के लिए तैयार हो गया, सभी लोग गाड़ी में बैठ गए और सबसे पहला पड़ाव था वैष्णों माता मंदिर। 

सोमवार, 2 दिसंबर 2019

मथुरा , भरतपुर , मेंहदीपुर बालाजी , आगरा दर्शन भाग - 4

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आज मथुरा में हम लोगों का दूसरा दिन था और आज गोकुल, नंदगाव, वरसाने आदि घूमने  का कार्यक्रम था तो हम लोग सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर फ्रेश होने के बाद नीचे सड़क पर आ गए, जैसा की सभी जानते है वहाँ टैक्सी वालों ने हम लोगों को घेर  लिया सभी अपना अपना किराया एवं घूमने का रूट बताने लगे, पहले तो इन तीनों जगहों के लिए 2200 रु मांग रहे थे लेकिन थोड़ी बार्गेनिंग करने पर एक इको  स्पोर्ट गाड़ी वाला 1600 रू में घुमाने  के लिए तैयार हो गया, हम लोगों ने भी देर न करते हुए अपना अपना स्थान ग्रहण कर लिया और अब पहला पड़ाव गोवर्द्धन जी का दर्शन था।

शनिवार, 23 नवंबर 2019

मथुरा , भरतपुर , मेंहदीपुर बालाजी , आगरा दर्शन भाग - 3

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गोकुल नगरी पूरी घूमने एवं नास्ता पानी करने के बाद हम लोगो की गाड़ी जन्मभूमि की तरफ चल दी, फिर उसी यमुना जी के पुल से वापस आना हुआ  जहाँ मैं  द्वापर में चला गया था, एक बार फिर जाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ  और देखते - देखते पुल  पार हो गया,  करीब आधे घंटे की यात्रा के बाद हम लोग श्री कृष्ण जन्म भूमि पर पहुंच चुके थे , गाड़ी से उतरने के बाद सबसे पहले उस पवित्र भूमि की मिटटी को माथे से लगाया जहाँ हमारे आराध्य का जन्म हुवा था, जन्मभूमि में मोबाइल, पर्स इत्यादि ले जाना वर्जित है तो उसके लिए बाहर  बने क्लॉक रूम में सब जमाकर रशीद लेकर

मंगलवार, 19 नवंबर 2019

मथुरा, मेहंदीपुर बालाजी, आगरा यात्रा - भाग - 2

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मथुरा जाने के लिए पटना कोटा एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से लगभग 2 घण्टे देरी से चल रही थी, लखनऊ तक आते-आते ढाई घंटा देर हो गई , खैर ट्रैन आयी सभी लोग अपने आरक्षित बर्थ पर जगह ले कर लेटने की कोशिश करने लगे , चूँकि रात का समय था इसलिए लेटने के आलावा और कुछ हो भी नहीं सकता था, लेटे - लेटे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला, उजाला होने से पहले एक बार नींद खुली लेकिन जगह कौन सी थी ये पता नहीं चल पाया, ट्रैन पहुंचने के निर्धारित समय में करीब दो घंटे का समय था इसलिए एक बार फिर नींद की आगोश में चले गए, एक स्टेशन पर शोर

रविवार, 6 अक्तूबर 2019

मेरी पहली यात्रा

                   यात्रा का दिनांक - वर्ष 1985, महीना मार्च, दिन तारीख क्या था याद नहीं

मित्रों मैं आज आप लोगों को अपनी पहली यात्रा के बारे मे बताना चाहता हूं  यू तो घूमने का शौक मुझे बचपन से है लेकिन अभी तक घूमने का मौका नहीं मिला था  बात उन दिनों की है जब मैं अपने गांव में रहता था उस समय मैं कच्छा - 8 में पढता था,  मेरे  गांव में मेरा एक मित्र था जिसका नाम अनिल उर्फ C. I. D. उसका उप नाम CID कैसे पड़ा उसकी भी एक छोटी सी कहानी है, हुवा यू की उस समय एक तरफ से दूसरे की जानकारी लाना जरुरी होता था तथा यह काम अनिल भाई बहुत बखूबी करते थे इस तरह कब उनका प्रचलित नाम CID हो गया किसी को पता नहीं, पीठ पीछे लोग CID नाम से ही बुलाते थे और मई तो उसके मुँह पर भी CID ही कहता था जिसे ओ बुरा नहीं मानता  था,
                                  मेरे गांव से करीब 40 किलोमीटर  दूर ककरहवा में महाशिवरात्रि का मेला लगता था

विंध्याचल की यात्रा

इस यात्रा को शुरु से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें  विंध्याचल की यात्रा आज यात्रा का तीसरा दिन था, दो दिन प्रयागराज में स्नान एवं भर्मण के बा...